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सवाल कोई भी हो, जवाब तो ढूँढ ही लेते है

2 घंटे, 100 प्रश्न। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प। पहला प्रश्न सामने है, कुछ सेकंड में प्रश्न पढ़ा और जवाब के सामने बने गोले को काले पेन से गोदा और अगला प्रश्न। कुछ प्रश्न हल करने के बाद, अरे यह कैसा प्रश्न है, बिना समय गवाएं अगला प्रश्न। अगला भी अजीब प्रश्न है, दिल की धड़कनें अचानक तेज हो गई। खुद को संभाला, अगले प्रश्न की ओर। अगले प्रश्न ने राहत तो दी, लेकिन दुविधा में डाल दिया। प्रश्न के जवाब को सोचते-सोचते 2-3 मिनट निकल गए, लेकिन दुविधा अब भी बनी हुई है। घड़ी की ओर नजर गई और पसीना आ गया। पास में रखी बोतल से पानी पिया, थोड़ा ठीक लगा, फिर जो सही जवाब लगा, उसके सामने बने गोले को गोद कर आगे बढ़ गए। बस यही हाल होता है परीक्षार्थियों का, जब वे परीक्षा भवन में प्रश्न पत्र हल कर रहे होते हैं। सरकारी पदों के लिए आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाएं देश-दुनियां के ज्ञान से भरपूर होती है। क्या इतिहास, क्या विज्ञान, क्या भूगोल, क्या अर्थशास्त्र। विभिन्न विषयों की घुट्टी घोल कर परीक्षार्थी पीते है, क्योंकि अफसर बाबू जो बनना है। वे घर-द्वार छोड़ कर दिल्ली में बने दड़बों में रहते है, जिसमें असुविध