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खूब जमता है रंग, कॉफी और बातों के संग

क्या कहती है आपकी सरकार? जी, हम कौनसी सरकार चला रहे हैं? सब ऊपर वाले की कृपा है। हुजूर, जरा उस ऊपर वाले से कहिये हम पर भी अपनी कृपा बरसा दें। देश के दिन बदल रहे हैं और क्या चाहिए आपको? अच्छा! तो हमें बदलाव नजर क्यों नहीं आ रहा। साहब आप देखना ही नहीं चाह रहे। जब जेब खाली हो तो काहे का बदलाव? अब, आपने ही आंखे मूंद रखी हो तो कोई क्या कहे? आंखे तो खुली है, लेकिन बड़े-बड़े वादे पेट नहीं भर रहे। यहां वादे मिल रहें है, पिछली सरकारें तो यह भी नहीं दे पाई। बस इसी तरह की राजनीतिक बहस आपको दिल्ली के "कॉफी होम" में सुनने के लिए मिल जाएगी। शहर की खास पहचान रखने वाले राजीव चौक में होने से यह बहुत लोकप्रिय है। इसकी बाग-डोर दिल्ली के पर्यटन और परिवहन विकास निगम की है। इसमें एक लम्बा-सा सभाग्रह है, उसके बाहर सालों पुराना बरगद का पेड़ है। शहर के किसी भी कोने से यहां पहुंचना आसान है, साथ ही सुबह 11 से रात 8 बजे तक चाय-कॉफी से लेकर खाने-पीने का बेहतरीन इंतजाम भी है। सबसे अच्छी बात यह कि बिना रोक-टोक, रेस्त्रां के अलिखित नियमों की चिंता किए बगैर लोग यहां गप लड़ाते है। यही वहज है कि दिल्ली के बहुत स